बाग़ के वातावरण से बेख़बर सूरजमुखी जिस तरफ़ सूरज चले देखे उधर सूरजमुखी भोर की पहली किरण कुछ कह गई है कान में लाज के मारे हुई है गुलमुहर सूरजमुखी ओस के क़तरे हैं मानो मांग में मोती सजे लग रही है ख़ूबसूरत किस क़दर सूरजमुखी देह सारी आँसुओं से भीगकर तर … Continue reading सूरजमुखी
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